Thursday, January 6, 2011

पर्यटन मानचित्र पर तेजी से उभर रहा कबीरधाम

ऐतिहासिक, पुरातात्विक, पौराणिक-धार्मिक, प्राकृतिक महत्व के  पर्यटन स्थलो के द्रुत विकास  से कबीरधाम जिला पर्यटकों का पसंदीदा जगह बन गया है। मैकल की रानी चिल्फी घाटी व सरोदादर प्रकृति प्रेमियाें को अपनी ओर खींचता है तो  छत्तीसगढ़ का खजुराहो भोरमदेव व राष्ट्रीय धरोहर पचराही सैलानियों के आकर्षण का विशेष केंद्र बन गये है। जिले मे आने वाले सैलानियों की संख्या मे साल दर साल भारी वृध्दि हो रही है। श्रावण मास के दौरान इस साल 1 लाख श्रध्दालु भोरमदेव मंदिर दर्शन के लिये आये। जिले में पर्यटन सुविधाओं के सुनियोजित विकास से देश के पर्यटन मानचित्र पर कबीरधाम तेजी से उभर रहा है।
     जिले मे पर्यटन स्थलों तक पहुंचने पक्की सड़क, पहुंच मार्ग बनाया गया है व पर्यटन स्थल मे पेयजल सुविधा व पर्यटन स्थलों का सौंदर्यीकरण किया गया है। उन्होने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य पर्यटन मंडल,पिछड़ा क्षेत्र अनुदान कोष,नरेगा व समविकास योजना के अंतर्गत पर्यटन स्थलों का तेजी से विकास किया जा रहा है। चरणतीरथ, रानीदहरा, कुंअर अक्षरिया, जोगी गुफा, बम्हणदेई गुफा, कामठी, खरहट्टा आदि स्थलों मे जरूरत के मुताबिक सीढ़ी, रेलिंग, चबूतरा व पगोड़ा बनाकर विकास किया गया है।
जिले मे पर्यटन सुविधाओं के विकास पर एक नजर

भोरमदेव- जिला मुख्यालय से मात्र 16 किमी दूर मैकल पर्वत श्रेणी की प्राकृतिक हरीतिमा के बीच स्थित भोरमदेव मंदिर देश के प्रमुख पर्यटन स्थलों मे से एक है। यहां आधुनिक संग्रहालय निर्माण,भोरमदेव उद्यान व स्मृति वन के विकास से सैलानियों का आकर्षण बढ़ा है। भोरमदेव आने वाले श्रध्दालुओं की सुविधा के लिये छपरी टोल-टेक्स नाका को बंद किया गया है अभिषेक की सुविधा भी प्रारंभ की गई है। मड़वा  महल, छेरकी महल जाने वाले पर्यटकाें की संख्या मे वृध्दि हुई है।
चरणतीरथ-जिले के बोडला विकासखण्ड में तरेगांव से लगभग 22 किलो मीटर की दूरी पर स्थित प्राचीन चरणतीर्थ की पहाडी में 470 सीढियों की चढाई के बाद मैकल चट्टानो से बने गुफा के दर्शन होते हैं। गुफा के ठीक ऊपर लगभग 15 फीट की सीढ़ी चढाई करने के बाद एक और गुफा स्थित है। इसके भीतर श्रीराम सीता और लक्ष्मण की प्राचीन मूर्तियाें के दर्शन होते हैं। प्रतिवर्ष इस स्थान में मकर संक्रांति के दिन मेला भी लगता है। चरणतीर्थ में गुफा तक पहुंच सुगम बनाने सीढ़ियों का चौड़ीकरण, विश्राम हेतु सीमेंट की कुर्सियां, ऊपर गुफा के पास साधुओं के लिये कुटियां, नीचे मेला स्थल में पेयजल व्यवस्था और विश्राम के लिये शेड बनाया जा रहा है।
पचराही- विकासखण्ड बोड़ला में स्थित ग्राम पचराही में उत्खनन से छत्तीसग़ढ के पुरातनकालीन इतिहास प्रकाश में आ रहे हैं। पचराही मे उत्खनन में ढाई हजार वर्ष पुराना बैल मिला है साथ ही लौहयुग के चूल्हे के अवशेष मिले हैं, उत्खनन में भगवान की गणेश सबसे छोटी प्रतिमा मिली जो लगभग 1500 साल पुरानी है। उत्खनन में तीसरी सदी के मौर्य कालीन अवशेष मिले हैं। प्राचीन स्वर्ण सिक्के प्राप्त हुए है, जो दुर्लभ है। इसी प्रकार फण्ाीनागवंश के 15वीं पीढ़ी के राजा यशोराज देव का चांदी का दुर्लभ सिक्का मिला है।
रामचुवा- रामचुआ भव्य पर्यटन स्थल के रूप मे विकसित हो रहा है। यहां शिव,राम-जानकी, हनुमान व लक्ष्मीनारायण के अष्टमंदिर हैं। यहां पर भव्य जलकुंड, पाथवे बनाकर रामचुवा का विकास किया जा रहा है। यहां प्राकृतिक जलस्रोत से निर्मित एक कुंड है जिसमे पानी कभी सूखता नही है। भोरमदेव मंदिर दर्शन के बाद पर्यटक रामचुवा के मनोहारी दृश्य का आनंद लेने जरूर आते हैं। रामचुवा कवर्धा से 8 किमी पश्चिम मे जैतपुरी ग्राम के निकट मैकल पहाड़ की तलहटी मे स्थित है।
सरोदादादर-जिला मुख्यालय से 46 किमी दूर कवर्धा चिल्फी मार्ग मे मैकल की चोटी पर यह दर्शनीय स्थल स्थित है। यहां सरोदा दादर रिसोर्ट का निर्माण किया जा रहा है। सैलानी यहां पहाड़ों की सुंदरता,सूर्यास्त के दुर्लभ दृश्य,पल-पल बदलते मौसम व बादलों का आनंद लेने आते हैं। यह स्थल ट्रेकिंग के लिये भी उपयुक्त बताया जाता है।
रानीदहरा- जिला मुख्यालय से जबलपुर मार्ग पर 35 किमी दूरी पर रानीदहरा जलप्रपात स्थित है। प्रकृति प्रदत्त अनुपम सौंदर्य के स्थल रानी दहरा की सुंदरता को और निखारने के लिए कलेक्टर ने रानी दहरा जल प्रपात तक पहुंचने के लिए डब्ल्यू.बी.एम. सडक निर्माण करने कहा है। मैकल पहाड़ों से कल-कल बहता झरने का पानी नीचे एकत्र होता है।
चिल्फी घाटी-मैकल की रानी चिल्फी घाटी जिले का खूबसूरत हिल स्टेशन हैं। चिल्फी घाटी मे जाड़े के दिन मे कड़ाके की ठंड पड़ती है। यहां चिरईयां के फूल,पहाड़ों पर ऊंचे-ऊंचे पेंड़,बादलों का अद्भुत नजारा,बैगा आदिवासी जीवन आकर्षित करता है। चिल्फी घाटी क्षेत्र मे 27 नये स्टॉप डैम बनाकर यहां जलसंरक्षण व जलसंवर्धन को बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे यहां की हरियाली बरकरार रहेगी व वन्यजीवों व लोगों के लिये निस्तार की सुविधा हो रही है।
बैगा आदिवासी जनजीवन- जिले के बोड़ला व पंडरिया के वनांचल मे बैगा आदिवासी निवासरत हैं। बैगाओ को विशेष पिछड़ी जनजाति का दर्जा प्राप्त है। प्रसिध्द ब्रिटिश मानवशास्त्री वेरियर एल्विन ने अपनी किताब द बैगा मे बैगाओं को संसार की सबसे हंसमुख जनजाति कहा है। बैगाओं का रहन-सहन,वेषभूषा,रीति-रिवाज,लोकनृत्य,सरल जीवन शैली लोगों को आकर्षित करता है। जिले मे बैगाओं के  लिये बैगा आवास,बाड़ी विकास व खेत को उपजाऊ बनाने का कार्य किया गया है।
वृंदावन गार्डन- सरोधा बांध के नीचे मनमोहक वृंदावन गार्डन विकसित किया जा रहा है। वृंदावन गार्डन के दूसरे चरण के निर्माण कार्य जारी है। वृंदावन गार्डन मे एक्वेरियम ,पगोड़ा, व छतरी लगायी जा रही है। वृदावन गार्डन की हरियाली बढ़ायी जा रही है। वृंदावन के बोटिंग पाईंट, सनराईस पाइंट और सनसेट पाईट, पॉली हाऊस मनोरंजन के साधनों से परिपूर्ण, कृत्रिम जल प्रपात, नहर ब्यू पाईंट लोगों के आकर्षण के केंद्र हैं।
    जिले मे पर्यटन की दृष्टि से कई महत्वपूर्ण स्थल है। जहां का भ्रमण कर  छत्तीसगढ की समृध्द सांस्कृतिक धरोहर, धार्मिक और प्राकृतिक स्थल का आनंद लिया जा सकता है। सूतियापाट, बखारी गुफा, झिरना, दशरथ तालाब, सुकझर, भंवरटोक, सूपखार, सुकझर, चिल्फी घाटी, सरोदा बांध, जलेश्वर महादेव डोगरिया और बहनाखोदरा उर्जा शिक्षा पार्क,वनांचल के साप्ताहिक हाटबाजार दर्शनीय है।

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