सिरपुर न केवल छत्तीसगढ़ और भारत बल्कि पूरी दुनिया की एक अनमोल ऐतिहासिक धरोहर है। यहां हो रहे उत्खनन से लगातार नये और महत्वपूर्ण तथ्य सामने आ रहे हैं।
बौध्द, जैन. वैष्णव और शैव संस्कृतियों के अद्भुत समन्वय का प्रतीक सिरपुर ज्ञान-विज्ञान, आध्यात्म और आस्था का प्रमुख केन्द्र भी है। दुनिया का इतिहास गवाह है कि जहां-जहां भी ज्ञान-विज्ञान के साथ संस्कृतियों का जुड़ाव हुआ है, वहां विकास भी उसी के अनुरूप हुआ है। छत्तीसगढ़ का इतिहास काफी समृध्द रहा है। भारत यात्रा के दौरान चीन के महान पर्यटक व्हेनसांग भी यहां आए थे। उन्होंने श्रीपुर के नाम से प्रसिध्द इस तत्कालीन शहर के वैभव, महत्व और गौरव के बारे में विस्तार से लिखा है। उत्खनन में यहां अनाज के बड़े भण्डार और आयुर्वेद रसायन शास्त्र की प्रयोगशाला मिली है। शैव, वैष्णव, जैन और बौध्द जैसे अलग-अलग मतों के मानने वाले यहां परस्पर मेल-मिलाप और समन्वय की भावना से रहते थे। सामाजिक समरसता का इससे अच्छा उदाहरण दुनिया में शायद और कहीं देखने को नहीं मिलता। इस दृष्टि से पांचवी-छठवीं शताब्दी में भी सिरपुर पूरी दुनिया को रास्ता दिखाता था और 21 शताब्दी में भी रास्ता दिखाता रहेगा।
बौध्द, जैन. वैष्णव और शैव संस्कृतियों के अद्भुत समन्वय का प्रतीक सिरपुर ज्ञान-विज्ञान, आध्यात्म और आस्था का प्रमुख केन्द्र भी है। दुनिया का इतिहास गवाह है कि जहां-जहां भी ज्ञान-विज्ञान के साथ संस्कृतियों का जुड़ाव हुआ है, वहां विकास भी उसी के अनुरूप हुआ है। छत्तीसगढ़ का इतिहास काफी समृध्द रहा है। भारत यात्रा के दौरान चीन के महान पर्यटक व्हेनसांग भी यहां आए थे। उन्होंने श्रीपुर के नाम से प्रसिध्द इस तत्कालीन शहर के वैभव, महत्व और गौरव के बारे में विस्तार से लिखा है। उत्खनन में यहां अनाज के बड़े भण्डार और आयुर्वेद रसायन शास्त्र की प्रयोगशाला मिली है। शैव, वैष्णव, जैन और बौध्द जैसे अलग-अलग मतों के मानने वाले यहां परस्पर मेल-मिलाप और समन्वय की भावना से रहते थे। सामाजिक समरसता का इससे अच्छा उदाहरण दुनिया में शायद और कहीं देखने को नहीं मिलता। इस दृष्टि से पांचवी-छठवीं शताब्दी में भी सिरपुर पूरी दुनिया को रास्ता दिखाता था और 21 शताब्दी में भी रास्ता दिखाता रहेगा।
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